सर्व शिक्षा अभियान, मध्य प्रदेश : 5वीं और 8वीं बोर्ड परीक्षा – सरकारी तंत्र की विफलता।

सरकार की निर्लज्जता एवं प्रशासन (स्कूल शिक्षा विभाग) के अनियंत्रित तथा उद्दंड रवैये की भेंट चढ़ गया हजारों बच्चों का भविष्य।

Jul 26, 2023 - 15:38
Jul 26, 2023 - 16:08
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सर्व शिक्षा अभियान, मध्य प्रदेश : 5वीं और 8वीं बोर्ड परीक्षा – सरकारी तंत्र की विफलता।

5वीं और 8वीं बोर्ड का बहुप्रतीक्षित परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही उद्घोषित हुयी सरकार की निष्क्रियता एवं उदासीनता। बहुप्रतीक्षित इसलिए क्योंकि एक दशक से भी ज्यादा समयावधि के पश्चात शिक्षा का अधिकार अधिनियम में हुए संशोधन के बाद ये परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराई गई। 5वीं और 8वीं बोर्ड का परिणाम इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ये परिणाम सर्व शिक्षा अभियान के लिए सरकार की मंशा को भी उजागर करता है। अनियंत्रित प्रशासन के विकृत चेहरे की मुह दिखाई की रस्म का इससे बेहतर अवसर शायद ही कुछ और हो। इस परिणाम की भयावहता का अंदाज़ा भी शायद इस वक़्त लगा पाना मुमकिन नहीं है।

सरकार की निर्लज्जता एवं प्रशासन (स्कूल शिक्षा विभाग) के अनियंत्रित तथा उद्दंड रवैये की भेंट चढ़ गया हजारों बच्चों का भविष्य। साथ ही भरोसा उठा है इन बच्चों के अभिभावकों का सरकार एवं शिक्षा व्यवस्था से। पांचवी, आठवीं बोर्ड रिजल्ट बनाते समय मार्कशीट में अर्धवार्षिक परीक्षा के नंबर ना डालने के चलते वेबसाइट 3 दिन बंद करना, प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के सैकड़ो स्कूलों में पांचवीं-आठवीं कक्षा के सभी छात्रों का फ़ैल हो जाना कोई सामान्य घटना नहीं है जबकि ऐसे ही हालत पूरे प्रदेश में है। प्रदेश के विभिन्न संभागों में अलग-अलग विकृतियाँ पाई गयी। संभाग की कापियां दुसरे जिलों में भेजी गयी बिना उचित प्रबंधन के साथ एवं भाषा माध्यम भी विकृतियों का कारण रहा है। कहीं कॉपियों का मूल्यांकन पारदर्शिता के साथ नहीं हुआ तो कहीं उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन में अलग नं तो सीट में कुछ और नंबर। शिक्षकों के मोबाइल से नंबरों का अपडेशन में भी गलतियाँ हुई है। मार्कशीट में कई गड़बड़ी देखने को मिली है। कई छात्रों के रिजल्ट में जीरो अंक मिले है, तो किसी का रिपोर्ट कार्ड में नाम ही गलत दर्ज किया गया है। कई छात्रों को गलत कक्षा का बताया है। कहीं सब्जेक्ट में मार्क्स दिए गए हैं, लेकिन साफ्टवेयर में रिजल्ट अपलोड नहीं हुआ है। जिन स्कूलों की कापियों का मूल्यांकन हुआ है उनके परिणाम में गड़बड़ियां भी उन्हीं स्कूलों में सामने आई हैं। शिक्षकों के मोबाईल या टैब से नंबरों का अद्द्य्तन करवाने से पूर्व शिक्षकों की कुशलता को जानना एवं उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी थी।

प्रदेश में 5वीं एवं 8वीं कक्षा के छात्रों के परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही अभिभावकों का गुस्सा सरकार एवं प्रशासन के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन पर फूट रहा है। अभिभावक लगातार जिला परियोजना समन्वयक, स्कूल प्रबंधन एवं स्थानीय प्रशासन से शिकायत दर्ज करवा रहे है। कई जगहों पर तो विकृति इस स्तर पर पहुँच गयी कि छात्रों ने पेपर तो दिया लेकिन सभी छात्रों को अनुपस्थित और फेल दिखाया गया है। परीक्षा परिणामो की घोषणा के बाद शिकायतों, तथाकथित आंदोलनों का दौर शुरू हो गया है एवं सरकार तथा प्रशासन आधी-अधूरी जानकारी के साथ कुछ भ्रामक जानकारी और प्रलोभन देने में तत्परता दिखा रहा है ठीक उसी तरह जैसे किसी अन्य सतही योजना का क्रियान्वयन।

शिक्षा को भी मौजूदा सरकार मात्र एक विभाग समझने की भूल कर बैठी एवं सर्व शिक्षा अभियान को महज एक सामान्य योजना। एक ऐसी भूल जिसका खामियाजा एक पूरी पीड़ी को भुगतना पड़ेगा। और इन सब पर कमाल ये कि प्रशासन के निठल्ले, अयोग्य कर्मचारी/अधिकारी मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने एवं जल्द ही सही परिणाम घोषित करने की बात कह रहे है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम में हुए संशोधन के बाद 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर करवाने का निर्णय वास्तव में स्वागत और प्रशंसा का पात्र है। लेकिन इस स्वागत और तारीफ के बीच कुछ सवाल भी पैदा हो जाते हैं। क्या 5वीं और 8वीं कक्षा पर बोर्ड पैटर्न लागू करने से पहले इसकी तैयारी पूरी तरह से सुनिश्चित की गई थी। शिक्षक एवं विभागीय प्रबंधन सम्बंधित कर्मचारी/प्राधिकारी की कुशलता, कौशल एवं प्रौद्योगिकी दक्षता की पूर्ण जानकारी सरकार के पास थी। जहाँ अधिकांशतः शिक्षक छात्रों को राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान में अंतर स्पष्ट कर पाने में प्रायः असमर्थ दिखायी पड़ते हों एवं शिक्षा विभाग के कर्मचारी/प्राधिकारी से लेकर आला अफसर एवं मा. मंत्री तक वातानुकूलित कक्षों से बाहर निकलने में अपनी तौहीन समझते हों। वहां बिना सोचे-समझे, बिना पूर्व आंकलन के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की मंशा समझ से परे है। सरकार को जमीनी स्तर पर उचित पर्यवेक्षण और स्थिति पर नियंत्रण प्रमुखता के साथ रखना चाहिए था ताकि प्रशासन की निरंकुशता को कम किया जा सके एवं शिक्षा की गुणवत्ता के उदेश्य की सार्थक पूर्ति की जा सके। किन्तु सरकार एवं प्रशासन पूर्णतः विफल रहे एवं लगातार अपनी नैतिक जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास कर रहे है।

शिक्षा का निम्न स्तरीय बुनियादी ढाँचा, निठल्ले कर्मचारी, अयोग्य शिक्षक किसी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कितना बदहाल कर सकते है इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है पांचवीं आठवीं का बोर्ड परीक्षा परिणाम। बोर्ड परीक्षा के परिणाम जारी होना लेकिन मेधावी छात्र-छात्राओं की प्रावीण्य सूची जारी नहीं करना बेहद हास्यस्पद एवं निराशाजनक है। स्थितियां इतनी विकट और जटिल है कि शासन एवं प्रशासन इस परीक्षा को बोर्ड परीक्षा अमान्य करने की सोच रहा है ताकि अपनी गलतियों से पल्ला झाड़ा जा सके।

पांचवी एवं आठवीं बोर्ड की परीक्षा का प्रबंधन, क्रियान्वयन एवं परिणाम में अनियमितता एवं गड़बड़ी मौजूदा मध्य प्रदेश सरकार के लिए कोई नई बात नहीं है। इसके पूर्व भी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत भोजन की गुणवत्ता, उपलब्धता एवं प्रबंधन को लेकर स्व-समूहों पर कई बार प्रश्नचिन्ह उठ चुका है। सरकार अपनी क्षमता एवं शक्ति का उपयोग ऐसे प्रश्न उठने पर बहुत सफाई के साथ दबाने में करती है। प्रशासन की कार्य प्रणाली पूरी तरह ऐसे माफियाओं से प्रबंधित होकर कार्य करने जैसी रहती है।

प्रशासन इतना अनियंत्रित और उद्दंड हो चुका है कि इन्होंने सर्व शिक्षा अभियान में स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले ड्रेस में भी अनियमितता एवं गड़बड़ी करने से खुद को ना रोक पाए। इन स्कूली ड्रेसों की सिलाई का कार्य स्व-समूहों से ना करवाकर किसी निजी फर्म को लाभ पहुँचाने के उदेश्य से करवाना प्रदेश के विद्यार्थियों के साथ एक बड़ा छलावा है। प्रशासन अनियंत्रित एवं पुर्णतः उद्दंड तथा सरकार माफियाओं से प्रबंधित होकर कार्य करने जैसी कार्यप्रणाली जनता के समक्ष प्रस्तुत कर रही है। जोकि सामान्य जनता के अधिकारों का हनन एवं भयावह तथा बुरे दौर का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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